ट्रकोमा
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ट्रकोमा बचावा जाय सकै वाला आन्हरपन कय एक्ठु कारण होय । इ एक्ठु आँखि कै रोग होय जवन क्लामैडिया ट्रकोम्याटिस नाँव कै बैक्टेरिया से होत है । इ सरुवा रोग होय । दुनिया मा लगभग ८ करोड मनइन कै इ रोग है जवने में से २२ लाख कै आँखि मा समस्या है औ लगभग १२ लाख मनइ आन्हर हैं । इ रोग खास कइकै अफ्रिका ,एसिया औ दक्खिन अमेरिका मा ढेर होत है । इ रोग लागेक संभवाना अइसन अवस्था मा ढेर होत है:
- छोट लरिके
- सुक्खा औ धुरिहा मौसम
- खराब वातावरण जैसय सरसफाइ कै कमी,भिड़भाड़,धूर माटि,धुँआ,केमिकल
इ रोग एक मनइ से दुसरे मनइ मा ट्रकोमा रोगी कै कंजङ्टाइभा (आँखि कै एक्ठु परत़) से निकरै वाला पानी से फैलत है जवन हवा से,पानी से ,माछी से ,हाथे से या अङोछा तौलिया से फैलि सकत है ।
लक्षन[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]
बैक्टेरिया कै संक्रमण करैक बाद मनइन मा इ रोग कै लक्षन ५ से २१ दिन मा देखात है ।
- आँखि मा कुछ गड़ै जइसन लागब
- आँखि से बहुत कम मात्रा मा लरहा पानी निकरब
- आँखि कै पलक चबद़ब
- आँखि से कब्बो कब्बो पानी गिरब
रोक औ दवाई[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]
इ रोग कै रोकै खर्तिन साफ वातावरण रक्खब जरुरि है जवने मा साफ पानी कै प्रयोग बहुतै जरुरि चिज होय । आपन आसपास कै वातावरण कै साफ सुथरा राखब जरुरी रहत है । माछी कै जनसङ्ख्या कम करेक उपाय अपनावैक चाँहि । इ रोग लागेक बाद मा दवाइन कै विकल्प मा मुँह से खाय वाला ओरल एंटिबायटिक औ टापिकल एंटिबायटिक है ।